
आजकल युवाओं में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। जहाँ पहले क्रॉनिक बीमारियाँ (Chronic Diseases) यानी लंबे समय तक चलने वाली बीमारियाँ सिर्फ 40–50 साल की उम्र के लोगों में देखी जाती थीं, वहीं अब यह 18–30 साल की उम्र के युवाओं में भी आम हो गई हैं।
अनियमित दिनचर्या, जंक फूड, तनाव, नींद की कमी और नशे की आदत इन बीमारियों को बढ़ावा देती हैं।
इस लेख में हम जानेंगे युवाओं में होने वाली प्रमुख क्रॉनिक बीमारियाँ, उनके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय।
क्रॉनिक बीमारियाँ क्या होती हैं?
“Chronic” शब्द का मतलब है — ऐसी बीमारी जो लंबे समय तक बनी रहती है, महीनों या सालों तक पूरी तरह ठीक नहीं होती और जिसके लिए लगातार इलाज या लाइफस्टाइल मैनेजमेंट की जरूरत पड़ती है।
उदाहरण: डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, थायरॉयड आदि।
युवाओं में प्रमुख क्रॉनिक बीमारियाँ
1. डायबिटीज़ (मधुमेह)
- पहले इसे बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब टाइप 2 डायबिटीज़ युवाओं में तेजी से बढ़ रही है।
- कारण: जंक फूड, मोटापा, तनाव, मोबाइल-लाइफस्टाइल।
- लक्षण: ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान।
- बचाव:
- चीनी और तैलीय भोजन कम करें
- नियमित व्यायाम
- वजन नियंत्रण में रखें
2. हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension)
- लगातार तनाव, नमक का ज्यादा सेवन और स्मोकिंग इसकी बड़ी वजह हैं।
- लक्षण: चक्कर आना, सिरदर्द, दिल की धड़कन तेज होना।
- बचाव:
- नमक कम करें
- ध्यान और योग करें
- धूम्रपान और शराब से बचें
3. थायरॉयड रोग
- थायरॉयड ग्रंथि की गड़बड़ी से हार्मोन असंतुलन होता है।
- युवतियों में यह ज्यादा पाया जाता है।
- लक्षण: वजन का अचानक बढ़ना या घटना, थकान, चिड़चिड़ापन।
- बचाव:
- समय पर जांच करवाएँ
- संतुलित भोजन करें
- डॉक्टर की दवाइयों का नियमित सेवन
4. अस्थमा और एलर्जी
- प्रदूषण, धूल-मिट्टी और खानपान से युवाओं में अस्थमा और एलर्जी की समस्या बढ़ रही है।
- लक्षण: सांस लेने में दिक्कत, सीटी जैसी आवाज, खांसी।
- बचाव:
- प्रदूषण से बचाव
- धूम्रपान न करें
- डॉक्टर की सलाह से इनहेलर का इस्तेमाल
5. फैटी लिवर डिज़ीज़
- तैलीय भोजन, शराब और जंक फूड की वजह से लिवर पर चर्बी जमने लगती है।
- लक्षण: भूख न लगना, थकान, पेट में भारीपन।
- बचाव:
- शराब और तैलीय भोजन छोड़ें
- सलाद, फल और हल्का खाना खाएँ
- नियमित एक्सरसाइज़
6. मानसिक रोग (डिप्रेशन, एंग्जायटी)
- युवाओं में मानसिक रोग अब एक बड़ी समस्या बन चुके हैं और ये भी क्रॉनिक बन सकते हैं अगर लंबे समय तक बने रहें।
- कारण: करियर का तनाव, सोशल मीडिया, रिश्तों की समस्या।
- लक्षण: उदासी, नींद न आना, आत्मविश्वास की कमी।
- बचाव:
- पॉजिटिव सोच
- योग और मेडिटेशन
- काउंसलिंग और परिवार से बातचीत
7. आर्थराइटिस (जोड़ों का दर्द)
- पहले आर्थराइटिस बुजुर्गों में आम था, लेकिन अब युवाओं में भी हड्डियों और जोड़ों की समस्या देखी जा रही है।
- कारण: कैल्शियम और विटामिन D की कमी, बैठे-बैठे रहने की आदत।
- लक्षण: घुटनों और पीठ में दर्द, जल्दी थकान।
- बचाव:
- दूध, दही और धूप लें
- नियमित व्यायाम
- भारी वजन उठाने से बचें
क्रॉनिक बीमारियों के आम कारण (Common Causes)
- असंतुलित खानपान
- फिजिकल एक्टिविटी की कमी
- तनाव और नींद की कमी
- धूम्रपान और शराब
- प्रदूषण और खराब पर्यावरण
क्रॉनिक बीमारियों से बचाव (Prevention Tips)
- संतुलित आहार लें – हरी सब्ज़ियाँ, फल, दालें और दूध।
- रोज़ाना व्यायाम करें – कम से कम 30 मिनट वॉक, योग या रनिंग।
- नशे से बचें – शराब, सिगरेट और ड्रग्स से दूरी।
- पर्याप्त नींद लें – 7–8 घंटे सोना जरूरी है।
- तनाव कम करें – ध्यान, मेडिटेशन और पॉजिटिव सोच अपनाएँ।
- नियमित हेल्थ चेकअप – साल में कम से कम एक बार ब्लड टेस्ट और चेकअप कराएँ।
निष्कर्ष:
क्रॉनिक बीमारियाँ अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि आज के युवा भी इनका शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, थायरॉयड, अस्थमा, फैटी लिवर और मानसिक रोग युवाओं की जीवनशैली और भविष्य दोनों को प्रभावित कर रहे हैं।
हालाँकि, अच्छी खबर यह है कि इनमें से ज्यादातर बीमारियों को सही खानपान, नियमित व्यायाम, तनावमुक्त जीवन और समय पर जांच से नियंत्रित किया जा सकता है।
एक जागरूक युवा ही स्वस्थ समाज और मजबूत राष्ट्र की नींव रख सकता है। इसलिए अभी से अपनी सेहत का ख्याल रखें और क्रॉनिक बीमारियों से दूर रहें।