आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मोटापा (Obesity) एक वैश्विक महामारी बन चुका है। बदलती जीवनशैली, अस्वस्थ खानपान, शारीरिक निष्क्रियता और तनाव ने दुनिया भर में करोड़ों लोगों को मोटापे का शिकार बना दिया है। मोटापा सिर्फ शरीर का वजन बढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह डायबिटीज़, हार्ट डिज़ीज़, स्ट्रोक, कैंसर, स्लीप एपनिया, फैटी लिवर और हॉर्मोनल असंतुलन जैसी गंभीर बीमारियों की जड़ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए Semaglutide (Wegovy/Ozempic) और Tirzepatide (Mounjaro) जैसी नई वजन कम करने की दवाओं को अपनी Model List of Essential Medicines (EML) में शामिल किया है। यह फैसला मोटापे के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण रणनीति साबित हो सकता है।

इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे –
- WHO का यह कदम क्यों ऐतिहासिक है?
- कौन सी दवाएँ शामिल हुई हैं और कैसे काम करती हैं?
- मोटापे की वैश्विक समस्या कितनी गंभीर है?
- भारत जैसे देशों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
- इन दवाओं की उपलब्धता, फायदे और साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
- भविष्य में मोटापे के इलाज और हेल्थकेयर सिस्टम पर इसका क्या असर होगा?
मोटापा – एक वैश्विक महामारी
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, 1975 से 2022 के बीच मोटापा तीन गुना बढ़ गया है। वर्तमान में दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी ओवरवेट या मोटापे से ग्रस्त है।
- बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर लगातार बढ़ रही है।
- वयस्कों में मोटापे की वजह से टाइप-2 डायबिटीज़ और कार्डियोवस्कुलर डिज़ीज़ का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
- मानसिक स्वास्थ्य पर भी मोटापे का सीधा असर होता है – डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी मोटापे से गहराई से जुड़ी हैं।
इसी बढ़ती चुनौती को देखते हुए WHO ने फैसला किया कि मोटापे की आधुनिक और प्रभावी दवाओं को अब “Essential Medicine List” में शामिल किया जाए, ताकि दुनिया भर के देशों को इन्हें अपनी हेल्थकेयर पॉलिसी में प्राथमिकता देनी पड़े।
WHO का “Essential Medicine List (EML)” क्या है?
WHO हर दो साल में एक Essential Medicine List जारी करता है। इसमें वे दवाएँ शामिल की जाती हैं जिन्हें “हर देश की बुनियादी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में उपलब्ध होना चाहिए”।
- इस लिस्ट में शामिल दवाओं को WHO के मानकों के आधार पर सुरक्षित, असरदार और किफायती माना जाता है।
- जब कोई दवा इस लिस्ट में आती है तो उसका वैश्विक महत्व बढ़ जाता है और सरकारें व कंपनियाँ उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दबाव में आ जाती हैं।
- अब तक यह लिस्ट कैंसर, डायबिटीज़, इंफेक्शन और कार्डियक रोगों की दवाओं पर केंद्रित रही है। लेकिन पहली बार मोटापा कम करने वाली दवाओं को शामिल किया गया है।
कौन सी दवाएँ शामिल हुईं?

1. Semaglutide (Wegovy / Ozempic)
- मूल रूप से डायबिटीज़ की दवा है, जिसे बाद में वजन घटाने के लिए भी उपयोग किया जाने लगा।
- यह GLP-1 receptor agonist है, जो शरीर में इंसुलिन का स्तर नियंत्रित करता है और भूख कम करता है।
- रिसर्च के अनुसार, Semaglutide लेने वाले लोगों का 15–20% तक वजन घट सकता है।
2. Tirzepatide (Mounjaro)
- यह दवा dual GLP-1 और GIP receptor agonist है।
- Semaglutide से भी ज्यादा असरदार मानी जा रही है।
- Clinical Trials में मरीजों का औसतन 22–25% तक वजन घटा।
- FDA और EMA दोनों ने इसे मोटापे के इलाज के लिए मंजूरी दी है।
ये दवाएँ कैसे काम करती हैं?
भूख कम करना: यह दवाएँ दिमाग के भूख नियंत्रित करने वाले हिस्से पर असर डालती हैं।
पेट खाली होने की गति धीमी करना: भोजन पेट में अधिक देर तक रहता है जिससे भूख जल्दी नहीं लगती।
इंसुलिन नियंत्रण: शुगर लेवल को नियंत्रित रखती हैं, जिससे ओवरईटिंग कम होती है।
Fat metabolism सुधारना: शरीर ऊर्जा का इस्तेमाल बेहतर तरीके से करता है।
मोटापा – सिर्फ वजन नहीं, बल्कि बीमारियों की जड़
- टाइप-2 डायबिटीज़ – मोटापे के कारण इंसुलिन रेज़िस्टेंस बढ़ जाता है।
- हार्ट डिज़ीज़ – कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर का सीधा संबंध मोटापे से है।
- कैंसर – मोटापा 13 तरह के कैंसर का जोखिम बढ़ाता है।
- लिवर डिज़ीज़ – NAFLD और सिरोसिस जैसी बीमारियाँ।
- मानसिक स्वास्थ्य – आत्मविश्वास की कमी, अवसाद और सामाजिक अलगाव।
इन्हीं कारणों से WHO ने माना कि मोटापे को “लाइफस्टाइल डिसऑर्डर” नहीं बल्कि “गंभीर बीमारी” मानना जरूरी है।
फायदे और उम्मीदें
अब ये दवाएँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध होंगी।
गरीब और मध्यम आय वाले देशों को भी इन्हें अपने राष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल करना होगा।
मोटापा कम करने से डायबिटीज़, हार्ट डिज़ीज़ और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी घटेगा।
हेल्थकेयर सिस्टम पर बोझ कम होगा क्योंकि मोटापे से जुड़ी जटिल बीमारियों का इलाज महं
संभावित साइड इफेक्ट्स
हालांकि ये दवाएँ असरदार हैं, लेकिन इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं:
- मतली, उल्टी, दस्त
- पेट में गैस, भूख न लगना
- थकान, सिर दर्द
- लंबे समय तक इस्तेमाल पर गॉलब्लैडर स्टोन और पैंक्रियाटाइटिस का खतरा
इसलिए डॉक्टर की निगरानी में ही इनका इस्तेमाल होना चाहिए।
भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?

भारत मोटापे और डायबिटीज़ दोनों का हब बन चुका है।
- भारत में लगभग 10 करोड़ लोग मोटापे से ग्रस्त हैं।
- हर साल मोटापे के कारण हेल्थकेयर पर अरबों रुपये खर्च होते हैं।
- अगर WHO की इस गाइडलाइन को भारत अपनाता है तो जल्द ही ये दवाएँ सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य योजनाओं में शामिल की जा सकती हैं।
भविष्य की दिशा
WHO का यह कदम संकेत देता है कि अब मोटापा सिर्फ सौंदर्य का मुद्दा नहीं, बल्कि एक मेडिकल आपातकाल है।
- आगे और भी नई दवाएँ इस सूची में जुड़ सकती हैं।
- हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और जागरूकता के साथ दवाओं का संयोजन मोटापे की महामारी को काबू कर सकता है।
- वैश्विक स्तर पर रिसर्च और निवेश और तेज़ होगा।
निष्कर्ष
WHO द्वारा Semaglutide और Tirzepatide जैसी दवाओं को “Essential Medicine List” में शामिल करना एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी कदम है। यह मोटापे को सिर्फ जीवनशैली की समस्या नहीं बल्कि गंभीर बीमारी मानने की दिशा में सबसे बड़ा कदम है।
अब जिम्मेदारी सरकारों, हेल्थकेयर सिस्टम और आम लोगों की है कि वे इस बदलाव को अपनाएँ और मोटापे से लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
🛑 Disclaimer
इस लेख में दी गई सभी जानकारी केवल शैक्षिक और जागरूकता उद्देश्यों के लिए है। यहाँ वर्णित दवाएँ, उपचार या उपाय किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह (Medical Advice) का विकल्प नहीं हैं। मोटापा या किसी अन्य बीमारी से संबंधित दवा लेने या उपचार शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।