लड़कियों में हॉर्मोन असंतुलन: लक्षण, कारण और बचाव

लड़कियों में हॉर्मोन असंतुलन के लक्षण

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हॉर्मोन असंतुलन एक आम लेकिन गंभीर समस्या बन चुकी है। खासकर लड़कियों और महिलाओं में यह स्थिति न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है।

हॉर्मोन हमारे शरीर के छोटे-छोटे केमिकल मैसेंजर होते हैं, जो पीरियड्स, मेटाबॉलिज्म, मूड, नींद, वजन और प्रजनन क्षमता तक को नियंत्रित करते हैं। जब यह हॉर्मोन सही मात्रा में नहीं बनते या ज्यादा बनते हैं, तो शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। इसे ही Hormonal Imbalance कहा जाता है।

  • मासिक धर्म का समय पर न आना
  • पीरियड्स बहुत ज्यादा भारी या बहुत कम होना
  • कई महीनों तक पीरियड्स गायब रहना
  • अचानक वजन बढ़ना, खासकर पेट के आसपास
  • वजन घटाने में कठिनाई
  • थायरॉयड की गड़बड़ी से मोटापा या कमजोरी
  • चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल (PCOS का लक्षण)
  • बालों का झड़ना या गंजापन
  • पिंपल्स और तैलीय त्वचा
  • मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन
  • डिप्रेशन और एंग्जायटी
  • आत्मविश्वास की कमी
  • थकान और कमजोरी
  • नींद न आना
  • स्तनों में दर्द या सूजन
  • बार-बार सिरदर्द
  1. पीसीओएस/पीसीओडी (PCOS/PCOD) – लड़कियों में सबसे आम समस्या
  2. थायरॉयड की बीमारी – हाइपोथायरॉयड या हाइपरथायरॉयड
  3. तनाव और मानसिक दबाव
  4. असंतुलित आहार – ज्यादा जंक फूड, मीठा और तैलीय खाना
  5. नींद की कमी
  6. मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता
  7. हार्मोनल दवाइयों का गलत उपयोग
  • बांझपन (Infertility) – ओव्यूलेशन न होने से गर्भधारण में दिक्कत
  • हड्डियों की कमजोरी – एस्ट्रोजन की कमी से
  • दिल की बीमारियों का खतरा
  • डायबिटीज और मोटापा
  • एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में 12,100 (जीवनकालिक उम्र: 18–40 वर्ष) महिलाओं पर अध्ययन किया गया। 8,993 महिलाओं के डेटा से पता चला कि:
    • Oligo-anovulation (कम या अनियमित अंडोत्सर्ग): 21.5%
    • Clinical hyperandrogenism (मासिक चक्र में मर्दाना लक्षण): 21%
    • Biochemical hyperandrogenism और Subclinical hypothyroidism: 15.6% CiteDrive
  • भारतभर में 6,715 किशोरियों (16 राज्यों में) के साथ:
    • Menstrual Pain/Distress (MPD) की प्रसारता: 61.8%
    • इनमें से सिर्फ 14.3% ने चिकित्सा सहायता ली; कई ने घरेलू उपाय (57%) या मेडिकल स्टोर (25%) से राहत पाई l
  • इसी सर्वे में Reproductive Morbidities (जैसे असामान्य डिस्चार्ज, खुजली) की व्यापकता 39% बताई गई, लेकिन केवल एक-तिहाई ने ही इलाज करवाया
  • (10–19 वर्ष की किशोरियों पर) के मेटा-विश्लेषण में पाया गया:
    • Dysmenorrhea (दर्दनाक मासिक धर्म): 54.96%
    • Irregular menstruation (अनियमित चक्र): 26.21%
    • Premenstrual syndrome (PMS): 47.49%
    • Oligomenorrhea: 13.88%; Menorrhagia: 16.83% University of Lodz Journals
  • एक अध्ययन (461 किशोरियों में) में PCOS की prevalence: 9.13% SpringerLink
  • विस्तृत समीक्षा बताती है कि भारत में किशोर और युवा महिलाओं में PCOS की संभावना 9.13% से लेकर 36% तक होती है—नियम, अध्ययन और आबादी के अनुसार अंतर है IJFMR
  • दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हाल ही में हुई एक अध्ययन में युवतियों (young adults) में PCOS का पता चला: 17.4% India Today
  • एक समाचार में ज़िक्र है कि भारत में लगभग हर 5 में से 1 युवा महिला (≈20%) PCOS/PCOD से प्रभावित है—जो वैश्विक औसत से अधिक है The Times of India
समस्या / स्थितिकिशोरियाँ / युवा महिलाओं में अनुमानित प्रसारता
मासिक दर्द (Dysmenorrhea)लगभग 55–60%
अनियमित मासिक धर्म (Irregular cycles)लगभग 26%
PMS (Premenstrual Syndrome)लगभग 47–48%
Oligomenorrhea / Menorrhagia~14% / ~17%
PCOS (सामान्य किशोर अध्ययन)~9%
PCOS (दिल्ली-एनसीआर)~17.4%
PCOS (समीक्षा के आधार पर अधिकतम अनुमान)36% तक
Reproductive morbidities (खास प्रकार)~39%
Treatment seeking (मासिक दर्द में)केवल ~14% सलाह/उपचार प्राप्त करने वाली

यह डेटा स्पष्ट रूप से बताता है कि लड़कियों और युवा महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन और मासिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बहुत आम हैं। सिर्फ तकलिफ़तक नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी, स्कूल, कॉलेज, और आम जीवन को प्रभावित करने वाली ये समस्याएं हैं।

उदाहरण के लिए:

1. सही आहार लें

  • हरी सब्जियाँ, फल, दालें, ड्राई फ्रूट्स और अनाज
  • मीठा और जंक फूड कम करें
  • प्रोटीन और फाइबर से भरपूर भोजन

2. नियमित व्यायाम

  • योग और ध्यान (Meditation)
  • 30 मिनट रोजाना वॉक या एक्सरसाइज

3. तनाव कम करें

  • पर्याप्त नींद लें (7–8 घंटे)
  • मोबाइल और स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करें

4. डॉक्टर से नियमित जांच

  • थायरॉयड और ब्लड टेस्ट कराएँ
  • पीसीओएस/पीसीओडी के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें

लड़कियों में हॉर्मोन असंतुलन एक ऐसी समस्या है जिसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। शुरुआत में इसके लक्षण मामूली लगते हैं, लेकिन समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह गर्भधारण में कठिनाई, मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोग जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।

इसलिए यदि आपके शरीर में ऊपर बताए गए लक्षण नज़र आएँ, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएँ। साथ ही संतुलित आहार, व्यायाम और मानसिक शांति से जीवनशैली को स्वस्थ बनाएँ।


👉 यह रिपोर्ट पढ़ने वाली हर लड़की को याद रखना चाहिए कि आपकी सेहत आपके आत्मविश्वास की सबसे बड़ी ताकत है।

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